कब तक जियोगे, समझौते भरी ज़िंदगी
तेरी आंखें बताती है, नहीं इसमें तेरी रजामंदी
अरे खुद से पूछ तो सही, तुझे क्या चाहिए ?
उम्मीद जमाने से ना कर, खुद बदल जाईये
आँखों में कोई ख्वाब है अगर, तो पूरा करना सीखे
अपने ख्वाब और हक के लिए, चलो लड़ना सीखे
मुश्किलें तो आती है नदियों के राह में भी
पर मुश्किलों की परवाह उसे रहती नहीं कभी
बना लेती है अपना रास्ता वो हर कही
मंजिल का ख्याल कर हमेशा आगे ही बढ़ी
अरे तेज ना सही तो धीरे धीरे आगे बढ़ना सीखे
मुश्किलों में नदियों सा, चलो लड़ना सीखे
आंधियाँ उड़ा ले जाती है सूखे पत्ते और धुल
डटकर मुकाबला तो चट्टानें ही करती है ये मत भूल
अपने अंदर का डर निकाल हौसला चट्टान सा कर
खुद की शक्ति पहचान ज़िंदगी जायेगी निखर
आंधियों से लड़ना है तो खुद पर यकीन करना सीखे
चट्टान सी बेजान चीजों से चलो लड़ना सीखे
तेरी आंखें बताती है, नहीं इसमें तेरी रजामंदी
अरे खुद से पूछ तो सही, तुझे क्या चाहिए ?
उम्मीद जमाने से ना कर, खुद बदल जाईये
आँखों में कोई ख्वाब है अगर, तो पूरा करना सीखे
अपने ख्वाब और हक के लिए, चलो लड़ना सीखे
मुश्किलें तो आती है नदियों के राह में भी
पर मुश्किलों की परवाह उसे रहती नहीं कभी
बना लेती है अपना रास्ता वो हर कही
मंजिल का ख्याल कर हमेशा आगे ही बढ़ी
अरे तेज ना सही तो धीरे धीरे आगे बढ़ना सीखे
मुश्किलों में नदियों सा, चलो लड़ना सीखे
आंधियाँ उड़ा ले जाती है सूखे पत्ते और धुल
डटकर मुकाबला तो चट्टानें ही करती है ये मत भूल
अपने अंदर का डर निकाल हौसला चट्टान सा कर
खुद की शक्ति पहचान ज़िंदगी जायेगी निखर
आंधियों से लड़ना है तो खुद पर यकीन करना सीखे
चट्टान सी बेजान चीजों से चलो लड़ना सीखे
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (21-06-2015) को "योगसाधना-तन, मन, आत्मा का शोधन" {चर्चा - 2013} पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
अन्तर्राष्ट्रीय योगदिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
आभार शास्त्री जी
ReplyDeleteसुन्दर रचना
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